Arvind Kejriwal news: अरविन्द केजरीवल को 21 मार्च की रात गिरफ्तार कर लिया गया था, भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी मुख्यमंत्री को इडी के द्वारा गिरफ्तार किया गया है। उनसे पहले झारखंड के मुख्यमंत्री ‘हेमंत सोरेन‘ को भी गिरफ्तार किया गया था, लेकिन गिरफ्तारी से पहले वे अपना इस्तीफा दे चुके थे। तो अरविन्द केजरीवल को क्यों गिरफ्तार किया गया हैं पहले ये समझते हैं।
अरविंद केजरीवाल की केस मे क्या हुआ ? Arvind Kejriwal latest news in Hindi
पहले यह समझते हैं कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली एक्साइज घोटाले के मुख्य साजिश करता है, एक्साइज पॉलिसी बनाई गई जिसमें पार्टी के कम्युनिकेशन इंचार्ज विजय नायर, मनीष सिसोदिया और साउथ ग्रुप के प्रतिनिधियों के साथ-साथ अरविंद भी शामिल थे। अरविंद केजरीवाल ने रिश्वत ली यह बात साबित होती है सांसदमंगुटा श्रीनिवासुलू रेड्डी और उनके बेटे राघव मंगुटा के बयानों से जो इस केस में अप्रूवल यानी सरकारी गवाह बन चुके हैं। हालाकि अरविंद केजरीवाल इस कथित एक्साइज घोटाले मे अभ्युक्त नहीं हैं। लेकिन ED कहती हैं की अरविन्द केजरीवल प्रोसीड्स का क्राइम में शामिल थे, लेकिन जो घोटाला हुआ उससे जो पैसा आया उसे पैसे को कहीं और इस्तेमाल करने से छिपने उसे रखने से जुड़े फैसलों में अगर कोई डायरेक्टली या इनडायरेक्ट शामिल है तो प्रोसीड्स का क्राइम में शामिल है। और इन पर मनी लौंडरींग का मामला बन सकता है, लेकिन केजरीवाल ने घोटाला के पैसे को इस्तेमाल किया या नहीं यह तो ट्रायल में ही पता चल पाएगा उनका ट्रायल शुरू होगा जब एक्सेस घोटाला का ट्रायल शुरू होगा, लेकिन डेढ़ साल से यह ट्रायल शुरू ही नहीं हुआ है तो सवाल यह है कि ट्रायल शुरू क्यों नहीं हो पा रहा दिल्ली एक्साइज पॉलिसी में घोटाले की जांच अगस्त 2022 में शुरू हुई थी विजय नायर की गिरफ्तार के बाद एक चार्टसीट फाइल हुई थी जिसमे कहा गया हैं की आप नेताओ ने साउथग्रुप के लिए साउथ ग्रुप से 100 करोड़ रिश्वत ली है। Arvind Kejriwal latest news in Hindi
Arvind Kejriwal latest news in Hindi : फरवरी 2023 में कुछ और गिरफ़्तारी होती हैं, और कुछ दूसरे व्यापारियों के खिलाफ फिर तीसरी सप्लीमेंट्री होती है कुछ और व्यापारियों के खिलाफ चौथी सप्लीमेंट्री जारी होती है उसके बाद फिर पांचवी सप्लीमेंट्री चार्जसीट लगने के चलते इस केस में ट्रायल शुरू ही नहीं हो पाया है। तो फिर इन अभियुक्त को जमानत क्यों नहीं मिल रही, यह एक ऐसा कानून है जहां जमानत मिलना लगभग नामुमकिन हो जाता है, अगर चार चीज़ जमानत का विरोध करें तो पीएमएलए कानून के अनुसार जमानत से जुड़ी दो शर्ते हो सकते हैं, पहले की सरकारी वकील को जमानत के खिलाफ अपनी बात रखने का मौका मिलना जरूरी है, और अगर सरकारी वकील जमानत के खिलाफ है तो फिर कोर्ट को देखना पड़ेगा कि क्या इस बात को मानने के कारण है कि अभियुक्त ने अपराध नहीं किया है। और जमानत मिलने पर वह कोई अपराध नहीं करेगा अब इसमें खुद को बेगुनाह साबित न कर पाए तब तक उसे अपराधी माना जाता है। इसलिए रिमांड के वक्त या कैसे भी शुरुआती दौर में जमानत के सुनवाई पर के तौर पर कोर्ट में साबित करना ही मुश्किल हो जाता है। अब देखिए कि सुप्रीम कोर्ट ने तो नवंबर 2017 में अपने एक फैसले में पीएमएलए के क्षेत्र मे सेक्शन 45 को ही असंवैधानिक ठहरा दिया था। लेकिन मार्च 2018 मे सरकार ने इसे रोक दिया और अमेंडमेंट में शर्त नहीं बदली सिर्फ एक शब्द बदल पहले लिखा हुआ था की उस अभियुक्त को ऐसे कैसे में जिसमें 3 साल से ज्यादा की सजा हो उसमें जमानत की शर्त है उस 3 साल से ज्यादा वाले वाक्य को बदलकर लिख दिया गया कि इस कानून के तहत अगर कोई अभियुक्त है तो उसे इन शर्तों को सेटिस्फाई के बिना बेल नहीं मिलेगी और एक कानून फिर चलने लगा। इसी तरह के प्रावधान यूएपीए कानून में भी है और इसलिए वहां भी जमानत मिलना बेहद मुश्किल होता है। एक उदाहरण देखिए ED ने पहला पीएमएलए केस 2008 में दायर किया था एक इंटरनेशनल कंपनी के डायरेक्टर और बाकी कुछ लोगों पर लेकिन 15 साल बाद इस केस में सारे अभियुक्त परी हो गए 15 साल लगे इसलिए कहा जाता है कि ऐसे कानून में प्रोसेस इज पनिशमेंट, दूसरी बात यह की नियम के मुताबिक अगर किसी जांच एजेंसी ने किसी अभिव्यक्ति को रिमांड कर लिया है तो 60 दिन के अंदर चार्जसीट फाइल करनी होगी किसी केस में यह ड्यूरेशन मैक्सिमम 90 दिन की हो सकती है अगर इतने दिन में चार सीट फाइल नहीं होती है तो अभियुक्त अपने आप जमानत के इनटाइटल्ड हो जाता है। लेकिन इस केस में मुख्य चार सीट के अलावा पांच सप्लीमेंट्री चार्ट लग चुकी है इसलिए भी जमानत में रुकावट आ रही है लेकिन यह रुकावट सबके जमानत पर नहीं हैं। इस मामले में अरविंद केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से कहा कि एक पैटर्न चल रहा है पहले गवाहों से बयान लिए जाते हैं लेकिन उनमें केजरीवाल का नाम नहीं होता फिर उन गवाहों को गिरफ्तार कर लिया जाता है। और उन्हें जमानत नहीं मिलने दी जाती फिर उनसे डील करके अप्रूवल बनाया जाता है फिर उन्हें कमर दर्द की शिकायत होती है, और ED उनकी जमानत का विरोध नहीं करती, और वे लोग जेल से बाहर आ जाते हैं। फिर मामले में किसी से अभियुक्त का बयान रिकॉर्ड होता है सारा का सारा मामला इन अप्रूवल कुछ से अभियुक्त और दिल्ली के LG के वयनों पर बन लिया गया है, लेकिन पिछले डेढ़ साल में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है।