Israel-Hamas War: इस्लामिक अलकायदा आतंकवादी संगठन ने कहा की अमेरिका और उसके सहयोगी इस्राइल के जारी युद्ध को समर्थन देने के कारण निशाने पर है। इस्राइल और हमास के बीच जारी युद्ध के दौरान आतंकवादी संगठन अल कायदा ने अमेरिका के रुख की वजह से गुस्से मे है इसकी वजह से वे लोग अमेरिका के दिग्गज बिजनेस टायकून की निशाना बनाना चाहते है उन्होंने अपने चैट रूम के माध्यम से अमेरिका बिजनेस दिग्गज एलोन मस्क, बिल गेट्स और सत्या नडेला की हत्या करने और अमेरिकी अर्थव्यस्था को निशाना बनाने की धमकी दी है। city4news.com के रिपोर्ट के मुताबिक पैन-इस्लामिक आतंकवादी संगठन अल-कायदा ने अपने कंपनिओ की तरफ से ऑपरेट होने वाली फ्लाइट पर भी निशाना करने की अपील की है। अमरीकन एयरलाइन्स, कॉन्टिनेन्टल, डेल्टा,ब्रिटिश ऐरवेस, एयर फ़्रांस और एयर फ़्रांस-कएलयम शामिल है।
अल-कायदा के ओपन चैलेंज जिहाद मैसेज
इस्लामिक आतंकवादी संगठन अल-कायदा समूह की मीडिया शाखा अल-माहौल ने कहा की अमेरिका और उसके सहयोगी इस्राइल के जारी युद्ध को समर्थन देने के कारण निशाने पर है जिसमे गाजा पट्टी मे 20000 से अधिक लोग मारे गए है। एक विडिओ क्लिप मे समूह ने फलिसतीन के समर्थन मे ओपन-सोर्स जिहाद का आह्वान किया गया है उन्होंने ने विश्व स्तर पर महत्व मुजाहिदीन को कीचेन के समान का इस्तेमाल करके बम बनाने की जानकारी भी दी है।
अल-कायदा ने कहा की मस्क,गेट्स समेत पूर्व अमेरिकी फेडरल रिसर्व आद्यक्ष बेन के यहूदी-अमेरिकी अर्थव्यस्था का हिस्सा है। इसकी वजह से वे सारे लोग हमारे निशाने पर है,इस्राइल हमास युद्ध मे यहूदियों का समर्थन किया है।
ओपन सोर्स के जरिए लिए लोन वुल्फ़ की ट्रैनिंग
इस्लामिक अलकायदा के ओपन सोर्स जिहाद अभियान चरमपंथी साहित्य के माध्यम से मुसलमानों को लुभाने की कोशिश की जा रही है, ओपन सोर्स जिहाद शब्द पहली बार जुलाई 2010 मे अल महालेम ने अपनी इंग्लिश पत्रिका मे लिखा था। अल कायदा के एक विडिओ मे इस्राइल प्रधानमंत्री बेंजामिन को अमेरिकी राष्ट्रपति जो विडें सहित विश्व नेताओ से मूलकत करते हुए दिखाया गया था अल कायदा ने उनपर इस्लाम पर युद्ध छोड़ने का आरोप लगाया है।
अल-कायदा इस्लामिक आतंकवादी की सुरुवात कैसे हुई
अल कायदा, जिसका पूरा नाम “अल-कायदा अल-जिहाद” है, एक इस्लामिक आतंकवादी संगठन है जिसकी स्थापना 1988 में की गई थी। इसकी सुरुवात अफगानिस्तान के जिहाद के समय हुई थी, जब सोवियत संघ ने 1979 में अफगानिस्तान में अपनी सेना को भेजा था। इस संघर्ष के दौरान, जिहादी युद्धाभ्यासों में शामिल होने के लिए विदेशी जिहादी लोगों की मदद के लिए एक संगठन की आवश्यकता महसूस की गई थी।
इस समय, एक अफगान जिहादी लेडर, उसामा बिन लादेन, ने इस संगठन की स्थापना की और उसे “अल-कायदा” कहा गया। इसका मुख्य उद्देश्य इस्लामिक जिहाद को समर्थन देना और अफगानिस्तान में सोवियत संघ के खिलाफ लड़ा जाना था।
अल-कायदा की सुरुवात इस संघर्ष के क्षेत्र में हुई थी, लेकिन इसने अपनी गति को बढ़ाते हुए विश्वभर में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दिया और अनेक देशों में आतंकी हमले किए।
अल कायदा के संस्थापक आतंकवादी उसामा बिन लादेन को अमेरिका ने ऐसे दबोचा
उसामा बिन लादेन, जो अल-कायदा के संस्थापक और नेता थे, पाकिस्तान के आयोटाबाद से अमेरिकी सेना ने गिरफ्तार किया उनकी मृत्यु 2011 में हुई थी। उनकी मृत्यु एक अमेरिकी सेना की अद्यतित ऑपरेशन से हुई थी, जिसे “नेवी सील टीम 6” नामक एक स्पेशल फोर्स इकाइयाँ संचालित कर रही थीं।
2011 में, अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए (CIA) ने उसकी पृष्ठभूमि का पता लगाया था और उसका अवसर पकड़ा था। इसके बाद, 2 मई 2011 को, नेवी सील टीम 6 ने पाकिस्तान के अबोटाबाद में उसामा बिन लादेन के आशियाने पर एक ऑपरेशन का आयोजन किया। इस ऑपरेशन का नाम “नेवी सील ऑपरेशन नीर बीनी” था।
ऑपरेशन में सेल टीम 6 ने उसामा बिन लादेन को मार गिराया और उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद, उनका शव एक नौबतखाने में बुरा कर दिया गया और उसे समुद्री हवाई जहाज से अच्छूता देश ले जाया गया और उसे अच्छूता खाद्यान्न पर दिया गया। इस ऑपरेशन ने अल-कायदा के नेता की मृत्यु को एक बड़ा झटका पहुंचाया और एक युद्ध खिलाफी उपकरण का समापन किया।
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