Ayodhya Ram Mandir: नीलकंठ पक्षी को देखना हिन्दू धर्म में सामाजिक, धार्मिक और पौराणिक परंपराओं में एक शुभ संकेत माना जाता है। नीलकंठ पक्षी का संबंध भगवान विष्णु के एक अवतार, श्रीकृष्ण से है। इस पक्षी को शालिग्राम के रूप में भी पूजा जाता है। कानपूर (उत्तर प्रदेश) के निकट गिरिराजपुर नामक स्थान पर एक प्राचीन मंदिर है जहां नीलकंठ पक्षी की पूजा की जाती है।
इसे देखना एक मान्यता प्राप्त प्रक्रिया है और इसे दर्शन करने से लोग अपने कर्मों की क्षमता में सुधार करने का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। नीलकंठ पक्षी की पूजा मुख्यतः कार्तिक मास (हिन्दी पंचांग के अनुसार अक्टूबर-नवम्बर) में की जाती है, और इसे ‘नीलकंठ द्वादशी’ या ‘प्रबोधिनी एकादशी‘ कहा जाता है। इस दिन भक्तजन विशेष रूप से नीलकंठ पक्षी की पूजा करते हैं और उन्हें आराधना का आशीर्वाद मानते हैं।
भगवान राम से नीलकंठ पक्षी का क्या संबंध हैं ?
भगवान राम से नीलकंठ पक्षी का संबंध रामायण महाकाव्य से है। नीलकंठ पक्षी का उल्लेख रामायण के युद्ध काण्ड में हुआ है। रामायण के अनुसार, भगवान राम ने रावण के द्वारा हरण हो जाने पर सीता माता की खोज के लिए वानर सेना के साथ वनवास में रहते हुए किसी समय एक सुन्दर पक्षी को देखा। यह पक्षी भगवान शिव का अंश था, और उसका नाम “नीलकंठ” था । नीलकंठ पक्षी ने भगवान राम से मिलकर उनसे बोला, और उन्हें सीता माता की कहानी सुनाई। इसके बाद भगवान राम ने नीलकंठ पक्षी को अपनी कृपा से आशीर्वाद दिया और उसे अपने साथ आदर्श भक्त के रूप में स्वीकार किया। नीलकंठ पक्षी का संदेश था कि भगवान राम और सीता माता की चरित्रशीलता और धर्मपरायणता हमें आदर्श जीवन जीने के लिए प्रेरित करनी चाहिए। इस प्रकार, नीलकंठ पक्षी भगवान राम के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रतीक बना हुआ है।
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दिन नीलकंठ पक्षी को देखने लिए उमड़े राम भक्त
आयोध्या मे सोमवार के दिन राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा होने से पूरे देश मे भारी उत्साह का माहौल हैं, इस बीच लोग रामायण का जश्न मनाने के लिए विभिन्न तरीकों का सहारा ले रहे हैं। आगरा मे नीलकंठ पक्षी कहे जाने वाले रोलर पक्षी को देखने के लिए चम्बल वन्य जीव अभयारण्य मे भारी संख्या मे राम भक्तों का भीड़ उमड़ पड़ा। ऐसा माना जाता हैं की भगवान राम ने इस पक्षी का दर्शन करने के बाद ही रावण की लंका पर विजय प्राप्त की थी
भगवान शिव का क्या संबंध है नीलकंठ पक्षी से ?
नीलकंठ पक्षी को देखना हिन्दू धर्म में एक शुभ संकेत माना जाता है। इसे हिन्दू पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण पक्षी के रूप में प्रस्तुत किया गया है। नीलकंठ पक्षी का संबंध भगवान शिव से है, जिनका अल्टीमेट अवतार या अंश कहा जाता है। कथा के अनुसार, समुद्र मंथन (सागर मंथन) के समय, देवता और असुर मिलकर अमृत कलश को निकालने का प्रयास कर रहे थे। इस प्रक्रिया के दौरान, विष (विषाक्त जल) निकला जिसने सभी को बहुत आपत्तियों में डाल दिया। इससे बचने के लिए भगवान शिव ने उस विष को पी लिया था। इसके परिणामस्वरूप, उनका गला नीला हो गया था, और उन्हें “नीलकंठ” भी कहा गया। नीलकंठ पक्षी को देखना लोगों के लिए एक शुभ संकेत माना जाता है क्योंकि इससे जुड़ी कथाएं भक्तों को भगवान शिव के प्रति आस्था और विश्वास में बढ़ावा करती हैं। यह एक प्रकार से धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण प्रतीक है, जो लोगों को सकारात्मक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।
Editor In Chief: Dewa Gupta
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